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Cheen ki Chunautee aur Swadeshi
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स्व-देश मतलब अपना देश और देश के लोगों द्वारा निर्मित वस्तुएँ ही स्वदेशी होती हैं। स्वदेशी एक भावना है जिसके आधार पर युवाओं को रोजगार मिलता है, देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और देश गौरवान्वित होकर समृद्ध बनता हैI आज उस स्वदेशी भावना में गिरावट आती जा रही है और विदेशी वस्तुओं का उपयोग बढ़ता जा रहा है। आज कुछ लोग उसके लिए गुणवत्ता को आधार मानते हैं। यह कहना सरासर गलत है। हमारे देश में निर्मित ढाका की मलमल, कुतुब मीनार के पास बना लौह स्तम्भ, जिसमें कभी भी जंग नहीं लगता, भागलपुर की सिल्क, सम्भल में बने सींग का सामान, खजुराहो और अजन्ता, एलोरा के भित्ति चित्र, गुलाब का इत्र, काष्ठ और पाषाण से बनी मूर्तियाँ गुणवत्ता के प्रतिमान हैं। आज चीन ने सस्ता माल बेचकर हमारे देश के व्यापार को चौपट कर दिया है। लेकिन उसकी गुणवत्ता का घटियापन अब लोगों की समझ में आ रहा है और इसके कारण चीन से आयात में काफी गिरावट आई है। हम सब भारतवासियों का कर्तव्य है कि हम विकास के इस युग में स्वदेशी भावना से तादात्मय बनायें, स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन व उपयोग को प्रोत्साहित करें और लघु उद्योगों द्वारा स्वदेशी निर्माण को गति प्रदान करेंI तभी हमारा देश आगे बढ़ेगा, युवाओं को रोजगार मिलेगा और सर्वत्र समृद्धि का पदार्पण होगा
Product Details | |
Author | Compiled |
ISBN | 978-93-86199-65-2 |
Publisher | Suruchi Prakashan |
Edition | First Edition |
Pages | 32 |
Binding Style | Paper Back |
Language | Hindi |
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